पूर्वाचंल में इंसेफ्लाइटिस से हो रही मौतें राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित हो - आइपीएफ
सरकार चलाएं युद्धस्तर पर अभियान -दारापुरी
लखनऊ 29 जून 2013, पूर्वाचंल में फैली दिमागी बुखार की बीमारी जापानी इंसेफ्लाइटिस को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित किया जाना चाहिए एवं स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और जल प्रबंधन विभाग की संयुक्त टीम बनाकर इसकी रोकथाम और इसके रोधी टीकों को लगाने के लिए सरकार को टीकाकरण के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाना चाहिए। यह मांग आज प्रेस को जारी अपनी विज्ञिप्ति में आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आई.जी. एस0 आर0 दारापुरी ने उठायी। उन्होनें बताया कि पूर्वाचंल में राष्ट्रीय आपदा की तरह आने वाली इस बीमारी में हर वर्ष हजारों बच्चे मरते है और विकलांग होते है। इस वर्ष भी अब तक पूर्वाचंल में 118 बच्चों की मौत हो चुकी है और मानसून के बाद तक यह संख्या 1000 को भी पार कर जायेगी। सरकारी आकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष भी इस बीमारी ने 1256 बच्चों की जान ली थी और गैरसरकारी आकंडों के अनुसार यह संख्या 1500 के ऊपर है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज की रिर्पोट के मुताबिक अब तक 35000 बच्चों की जान इस बीमारी की वजह से जा चुकी है और 20000 के लगभग बच्चे विकलांग हो चुके है। इस बीमारी के संदर्भ को स्वतः संज्ञान में लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी 2006 में सरकार को फटकार लगायी थी और इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा धोषित करने व इससे निपटने के लिए ठोस योजना बनाने का आदेष दिया था। इसके दबाब में आयी केन्द्र व राज्य सरकार ने इसे महामारी मानते हुए इसके रोकथाम के लिए कई धोषणाएं भी की थी पर आज तक वह जमीनीस्तर पर कहीं लागू नहीं की गयी और बच्चों की मौतें बदस्तूर जारी है। उन्होनें कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी-बड़ी सुविधाओं की धोषणाएं करने वाली और लोहिया के नारे दवा इलाज मुफ्त देने की बात करने वाली इस सपा सरकार में हालात और भी बुरे है। इस बीमारी के लिए गोरखपुर के बीआरडी कालेज में बनाया गया 100 बिस्तरों वाला विषेष वार्ड आज तक बनकर तैयार नहीं हुआ और न ही इससे प्रभावित होने वालों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हो सका है। सरकार की यह लापरवाही आपराधिक है। उन्होनें कहा कि आष्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा इसकी निगरानी की जाती है और मच्छरों के काटने से होने वाले इस रोग के इलाज और रोकथाम के लिए टीकाकरण भी उपलब्ध है बाबजूद इसके सरकार द्वारा ध्यान न देने के कारण हर साल हजारों बच्चों का जीवन दांव पर लगता है। इस वर्ष मानसून की स्थिति को देखते हुए इसका प्रकोप ज्यादा होने की सम्भावना है। दारापुरी ने बताया कि महामारी के रूप में हर साल आने वाली इस जापानी इंसेफ्लाइटिस से पूर्वाचंल की जनता के जीवन को बचाने के लिए आइपीएफ महामहिम राज्यपाल को पत्र भेजेगा और उनसे इस मामले में शीध्र कार्रवाही के लिए राज्य सरकार को निर्देष देने के लिए हस्तक्षेप की अपील करेगा।
सरकार चलाएं युद्धस्तर पर अभियान -दारापुरी
लखनऊ 29 जून 2013, पूर्वाचंल में फैली दिमागी बुखार की बीमारी जापानी इंसेफ्लाइटिस को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा घोषित किया जाना चाहिए एवं स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास और जल प्रबंधन विभाग की संयुक्त टीम बनाकर इसकी रोकथाम और इसके रोधी टीकों को लगाने के लिए सरकार को टीकाकरण के लिए युद्धस्तर पर अभियान चलाना चाहिए। यह मांग आज प्रेस को जारी अपनी विज्ञिप्ति में आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व आई.जी. एस0 आर0 दारापुरी ने उठायी। उन्होनें बताया कि पूर्वाचंल में राष्ट्रीय आपदा की तरह आने वाली इस बीमारी में हर वर्ष हजारों बच्चे मरते है और विकलांग होते है। इस वर्ष भी अब तक पूर्वाचंल में 118 बच्चों की मौत हो चुकी है और मानसून के बाद तक यह संख्या 1000 को भी पार कर जायेगी। सरकारी आकड़ों के अनुसार पिछले वर्ष भी इस बीमारी ने 1256 बच्चों की जान ली थी और गैरसरकारी आकंडों के अनुसार यह संख्या 1500 के ऊपर है। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज की रिर्पोट के मुताबिक अब तक 35000 बच्चों की जान इस बीमारी की वजह से जा चुकी है और 20000 के लगभग बच्चे विकलांग हो चुके है। इस बीमारी के संदर्भ को स्वतः संज्ञान में लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी 2006 में सरकार को फटकार लगायी थी और इसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा धोषित करने व इससे निपटने के लिए ठोस योजना बनाने का आदेष दिया था। इसके दबाब में आयी केन्द्र व राज्य सरकार ने इसे महामारी मानते हुए इसके रोकथाम के लिए कई धोषणाएं भी की थी पर आज तक वह जमीनीस्तर पर कहीं लागू नहीं की गयी और बच्चों की मौतें बदस्तूर जारी है। उन्होनें कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बड़ी-बड़ी सुविधाओं की धोषणाएं करने वाली और लोहिया के नारे दवा इलाज मुफ्त देने की बात करने वाली इस सपा सरकार में हालात और भी बुरे है। इस बीमारी के लिए गोरखपुर के बीआरडी कालेज में बनाया गया 100 बिस्तरों वाला विषेष वार्ड आज तक बनकर तैयार नहीं हुआ और न ही इससे प्रभावित होने वालों के लिए टीकाकरण अभियान शुरू हो सका है। सरकार की यह लापरवाही आपराधिक है। उन्होनें कहा कि आष्चर्य की बात है कि केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के द्वारा इसकी निगरानी की जाती है और मच्छरों के काटने से होने वाले इस रोग के इलाज और रोकथाम के लिए टीकाकरण भी उपलब्ध है बाबजूद इसके सरकार द्वारा ध्यान न देने के कारण हर साल हजारों बच्चों का जीवन दांव पर लगता है। इस वर्ष मानसून की स्थिति को देखते हुए इसका प्रकोप ज्यादा होने की सम्भावना है। दारापुरी ने बताया कि महामारी के रूप में हर साल आने वाली इस जापानी इंसेफ्लाइटिस से पूर्वाचंल की जनता के जीवन को बचाने के लिए आइपीएफ महामहिम राज्यपाल को पत्र भेजेगा और उनसे इस मामले में शीध्र कार्रवाही के लिए राज्य सरकार को निर्देष देने के लिए हस्तक्षेप की अपील करेगा।
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