आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट
कानून व्यवस्था हुई बदतर - अखिलेन्द्र
दमन पर उतरी सरकार-कश्यप
आइपीएफ संयोजक अखिलेन्द्र के उपवास का चैथा दिन
लखनऊ 13 जून 2013, जन अधिकार अभियान के तहत प्रदेश में कानून के राज के लिए आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक का0 अखिलेन्द्र प्रताप सिंह का सीपीएम, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत तमाम वाम-जनवादी ताकतों द्वारा समर्थित 10 दिवसीय उपवास आज चैथें दिन भी जारी रहा।
उपवास पर बैठे आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने बुलंदशहर में महविश व उसके परिजनों द्वारा पुलिस उत्पीड़न से तंग आकर आत्मदाह करने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था लगातार बदतर होती जा रही है, पूरे प्रदेश में पुलिस, माफिया, गुण्ड़ाराज चल रहा है। हालत इतनी बुरी है कि जिन लोगों ने महविश के पति की हत्या को अंजाम दिया उन्हें गिरफ्तार करने की जगह पुलिस ने महविश के ही परिजनों को अपराधी बना डाला। यही हालत काकोरी थाने के रहने वाले रामस्वरूप वर्मा के साथ भी की जा रही है, जिनका लड़का दो माह से लापता है और जिन लोगों के खिलाफ इन्होनें रिर्पोट लिखाई उन पर कोई कार्यवाही करने की जगह पुलिस इनके दामाद को ही फंसाने में लगी हुई है। उन्नाव के हसनगंज और सोनभद्र के चुर्क में दलितों का उत्पीड़न करने वालों पर कार्यवाही करने की जगह उत्पीडि़त दलितों को ही मुलजिम बना दिया गया और उनके विरूद्ध मुकदमें कायम कर दिए। उन्होनें कहा कि कानून के राज के लिए प्रदेश में जारी जनांदोलन के बाबजूद यह सरकार अपनी कानून विरोधी गतिविधियों से बाज नहीं आ रही है।
सीपीएम के राज्य सचिव का0 एस पी कश्यप ने कहा कि यह सरकार महिलाओं, अल्पसंख्यकों, आदिवासियों और दलितों समेत समाज के कमजोर तबकों पर दमन ढानें में लगी है। इसकी दमनकारी नीति का मुकाबला बड़े जनांदोलन से करना होगा। राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के सचिव लाल देवेन्द्र सिंह चैहान ने कहा कि इस सरकार में आम नागरिकों का जीवन सुरक्षित नहीं है। लोकतंत्र लाने की बड़ी बातें करने वाली इस सरकार में लोगों को विधानसभा के सामने अपना प्रतिवाद तक दर्ज नहीं कराने दिया जा रहा। यहां प्रतिवाद दर्ज कराने आए उत्पीडित लोगों को पुलिस डरा-धमका कर भगा दे रही है।
राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव व पूर्वमंत्री का0 कौशल किशोर ने सभा में कहा कि प्रदेश के माओवाद प्रभावित सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली में रहने वाले आदिवासी समुदाय के साथ बड़ा अन्याय हो रहा है। कोल को आदिवासी होने के बाबजूद आदिवासी का दर्जा नहीं दिया गया। गोड़, खरवार जैसी जिन आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा भी मिला, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी उनके लिए लोकसभा, विधानसभा से लेकर पंचायत तक सीट ही आरक्षित नहीं की गयी परिणामस्वरूप वह आरक्षित सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ पा रहे है। आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई0 जी0 एस. आर. दारापुरी ने कहा कि आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना अधिकार देने के लिए संसद द्वारा बने वनाधिकार कानून को सरकार ने विफल कर दिया है। इन तबकों द्वारा मालिकाना हक के लिए दाखिल लाखों दावों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया है। उन्हें गैरकानूनी तरीके से जमीन से बेदखल किया जा रहा है, उन पर फर्जी मुकदमें कायम किए जा रहे है और लगातार आदिवासियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को वनाधिकार कानून के तहत मालिकाना हक दिलाने के लिए आइपीएफ ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका भी दाखिल की है।
उपवास पर हुई सभा को सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के प्रदेश अध्यक्ष गिरीश पाण्ड़ेय, वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, मुस्लिम महिला पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर, का0 रामकृष्ण, नसीम, लाल बहादुर सिंह, गुलाब चंद गोड, प्रमोद चैबे, रमेश खरवार, रामदेव गोड़ ने भी सम्बोधित किया। सभा का संचालन आइपीएफ प्रदेश प्रवक्ता अजीत सिंह यादव ने किया।
भवदीय
(दिनकर कपूर)
संगठन प्रभारी आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट(आइपीएफ)उ0 प्र0।
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