आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट
वनाधिकार कानून को किया विफल - अखिलेन्द्र
सरकार है संवेदनहीन- कौशल
उपवास सातंवे दिन भी जारी, स्वास्थ्य में हो रही गिरावट
लखनऊ 16 जून 2013 : आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना अधिकार देने के लिए संसद द्वारा बने वनाधिकार कानून को सरकार ने विफल कर दिया है। इन तबकों द्वारा मालिकाना हक के लिए दाखिल लाखों दावों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया है, उन दावा फार्मो को तहसील में दीमक चाट रहे है। ग्रामस्तर की वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृत दावों को कानून में अधिकार न होते हुए भी उपखण्ड़ स्तर की कमेटी द्वारा खारिज कर दिया गया। आदिवासियों को गैरकानूनी तरीके से जमीन से बेदखल किया जा रहा है, उन पर फर्जी मुकदमें कायम किए जा रहे है और लगातार उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को वनाधिकार कानून के तहत मालिकाना हक दिलाने के लिए आइपीएफ ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। जिसें स्वीकार कर माननीय उच्च न्यायालय की दो सदस्यी खण्ड़पीठ ने केन्द्र और प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। यहीं नहीं प्रदेश के माओवाद प्रभावित सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली में रहने वाले आदिवासी समुदाय को तो आजादी के बाद आज तक इंसाफ नहीं मिला है। कोल को आदिवासी होने के बाबजूद आदिवासी का दर्जा नहीं दिया गया। गोड़, खरवार जैसी जिन आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा भी मिला, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी उनके लिए लोकसभा, विधानसभा से लेकर पंचायत तक सीट ही आरक्षित नहीं की गयी. परिणामस्वरूप वह आरक्षित सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ पा रहे है। यह बातें प्रदेश में कानून के राज की स्थापना के लिए विधानसभा के सामने सीपीआईएम, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत तमाम वाम-जनवादी ताकतों द्वारा समर्थित उपवास पर बैठे आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने सातवें दिन आयोजित सभा में कहीं। आज का0 अखिलेन्द्र ने भजन मंड़ली द्वारा कबीरदास की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग का समर्थन भी किया। उनके धरने पर जाकर का0 अखिलेन्द्र ने कहा कि कबीरदास और रैदास दोनों भारतीय इतिहास की सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियां रही है जिन्होनें सामाजिक बदलाव के आंदोलन को मजबूत किया है। इसलिए इनकी जयंती को सरकार को राष्ट्रीय पर्व धोषित करते हुए इस अवसर पर अवकाश करना चाहिए।
अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करने आज राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव व पूर्वमंत्री का0 कौशल किशोर के नेतृत्व में पारख महासंघ के दर्जनों कार्यकर्ता पहुंचे। सभा को सम्बोधित करते हुए का0 कौशल ने कहा कि अनशन और लोकतांत्रिक आंदोलन के प्रति सरकार संवेदनहीन हो चुकी है। प्रदेश में संविधानसम्मत शासन और सरकार की ही घोषणाओं को लागू करने के लिए उपवास पर बैठे अखिलेन्द्र द्वारा उठाए जनहित के सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया देने की जगह सरकार उनका मेडि़कल चेकअप तक ठीक से नहीं करा रही है। उनके वजन को नापने के लिए जो मशीन भेजी गयी वह खराब थी और डाक्टरों व प्रशासनिक अधिकारियों से बार-बार वार्ता करने, लिखित देने के बाबजूद पेशाब में कीटोन, प्रोटीन व शुगर की जांच के लिए स्ट्रीप तक लेकर डाक्टर नहीं आ रहे है। अखिलेन्द्र का मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई.जी. एस. आर. दारापुरी ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। आज उनके पेशाब में चार प्लस प्रोटीन आया है और उनका ब्लड़ प्रेशर 150/90 और प्लस रेट 88 है जो सामान्य से ज्यादा है। उन्होनें सरकार द्वारा अखिलेन्द्र के स्वास्थ्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही पर तीखा आक्रोश भी व्यक्त किया।
आज सीपीएम राज्य कमेटी सदस्य का0 धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के महामंत्री ओकांर सिंह, भागीदारी आंदोलन के अध्यक्ष पीसी कुरील, बबलू अग्नोहत्री, चंदौली आइपीएफ संयोजक अखिलेश दूबे, अजीत सिंह यादव, दिनकर कपूर, आगरा संयोजक मुकंदीलाल नीलम ने अखिलेन्द्र के उपवासस्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित कर समर्थन व्यक्त किया। सभा का संचालन आइपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता गुलाब चंद गोड़ ने किया।
(दिनकर कपूर) संगठन प्रभारी, आइपीएफ
वनाधिकार कानून को किया विफल - अखिलेन्द्र
सरकार है संवेदनहीन- कौशल
उपवास सातंवे दिन भी जारी, स्वास्थ्य में हो रही गिरावट
लखनऊ 16 जून 2013 : आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को उनकी पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना अधिकार देने के लिए संसद द्वारा बने वनाधिकार कानून को सरकार ने विफल कर दिया है। इन तबकों द्वारा मालिकाना हक के लिए दाखिल लाखों दावों को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया है, उन दावा फार्मो को तहसील में दीमक चाट रहे है। ग्रामस्तर की वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृत दावों को कानून में अधिकार न होते हुए भी उपखण्ड़ स्तर की कमेटी द्वारा खारिज कर दिया गया। आदिवासियों को गैरकानूनी तरीके से जमीन से बेदखल किया जा रहा है, उन पर फर्जी मुकदमें कायम किए जा रहे है और लगातार उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। आदिवासियों व वनाश्रित लोगों को वनाधिकार कानून के तहत मालिकाना हक दिलाने के लिए आइपीएफ ने माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। जिसें स्वीकार कर माननीय उच्च न्यायालय की दो सदस्यी खण्ड़पीठ ने केन्द्र और प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। यहीं नहीं प्रदेश के माओवाद प्रभावित सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली में रहने वाले आदिवासी समुदाय को तो आजादी के बाद आज तक इंसाफ नहीं मिला है। कोल को आदिवासी होने के बाबजूद आदिवासी का दर्जा नहीं दिया गया। गोड़, खरवार जैसी जिन आदिवासी जातियों को आदिवासी का दर्जा भी मिला, सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी उनके लिए लोकसभा, विधानसभा से लेकर पंचायत तक सीट ही आरक्षित नहीं की गयी. परिणामस्वरूप वह आरक्षित सीटों पर चुनाव ही नहीं लड़ पा रहे है। यह बातें प्रदेश में कानून के राज की स्थापना के लिए विधानसभा के सामने सीपीआईएम, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया), राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी समेत तमाम वाम-जनवादी ताकतों द्वारा समर्थित उपवास पर बैठे आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने सातवें दिन आयोजित सभा में कहीं। आज का0 अखिलेन्द्र ने भजन मंड़ली द्वारा कबीरदास की जयंती को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग का समर्थन भी किया। उनके धरने पर जाकर का0 अखिलेन्द्र ने कहा कि कबीरदास और रैदास दोनों भारतीय इतिहास की सामाजिक और सांस्कृतिक हस्तियां रही है जिन्होनें सामाजिक बदलाव के आंदोलन को मजबूत किया है। इसलिए इनकी जयंती को सरकार को राष्ट्रीय पर्व धोषित करते हुए इस अवसर पर अवकाश करना चाहिए।
अखिलेन्द्र के उपवास का समर्थन करने आज राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव व पूर्वमंत्री का0 कौशल किशोर के नेतृत्व में पारख महासंघ के दर्जनों कार्यकर्ता पहुंचे। सभा को सम्बोधित करते हुए का0 कौशल ने कहा कि अनशन और लोकतांत्रिक आंदोलन के प्रति सरकार संवेदनहीन हो चुकी है। प्रदेश में संविधानसम्मत शासन और सरकार की ही घोषणाओं को लागू करने के लिए उपवास पर बैठे अखिलेन्द्र द्वारा उठाए जनहित के सवालों पर अपनी प्रतिक्रिया देने की जगह सरकार उनका मेडि़कल चेकअप तक ठीक से नहीं करा रही है। उनके वजन को नापने के लिए जो मशीन भेजी गयी वह खराब थी और डाक्टरों व प्रशासनिक अधिकारियों से बार-बार वार्ता करने, लिखित देने के बाबजूद पेशाब में कीटोन, प्रोटीन व शुगर की जांच के लिए स्ट्रीप तक लेकर डाक्टर नहीं आ रहे है। अखिलेन्द्र का मेडिकल बुलेटिन जारी करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई.जी. एस. आर. दारापुरी ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। आज उनके पेशाब में चार प्लस प्रोटीन आया है और उनका ब्लड़ प्रेशर 150/90 और प्लस रेट 88 है जो सामान्य से ज्यादा है। उन्होनें सरकार द्वारा अखिलेन्द्र के स्वास्थ्य के प्रति बरती जा रही लापरवाही पर तीखा आक्रोश भी व्यक्त किया।
आज सीपीएम राज्य कमेटी सदस्य का0 धर्मेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय ओलेमा कौंसिल के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह, सोशलिस्ट पार्टी (इंडिया) के महामंत्री ओकांर सिंह, भागीदारी आंदोलन के अध्यक्ष पीसी कुरील, बबलू अग्नोहत्री, चंदौली आइपीएफ संयोजक अखिलेश दूबे, अजीत सिंह यादव, दिनकर कपूर, आगरा संयोजक मुकंदीलाल नीलम ने अखिलेन्द्र के उपवासस्थल पर आयोजित सभा को सम्बोधित कर समर्थन व्यक्त किया। सभा का संचालन आइपीएफ के प्रदेश प्रवक्ता गुलाब चंद गोड़ ने किया।
(दिनकर कपूर) संगठन प्रभारी, आइपीएफ
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