Saturday 22 June 2013

प्रदेश में लगें अवैध खनन पर रोक-आइपीएफ

प्रदेश में लगें अवैध खनन पर रोक-आइपीएफ
इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश स्वागत योग्य
लखनऊ 22 जून 2013, आल इण्डि़या पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) ने आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इलाहाबाद के शंकरगढ़ में कराएं जा रहे सिलिका सैण्ड़ के अवैध खनन पर रोक लगाने के फैसले का स्वागत किया है। इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने जारी अपने बयान में कहा कि आम नागरिकों के जीवन, पर्यावरण और पेयजल के लिए गहरा संकट पैदा करने वाला अवैध खनन प्रदेश में बुदेलखण्ड़ से लेकर सोनभद्र तक बड़े पैमाने पर आज भी जारी है। पर्यावरण अनुमति लेने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना हो रही है। देश में राजशाही खत्म होने के बाबजूद इलाहाबाद के शंकरगढ़ के 46 गांवों क्रमशः शंकरागढ़, तालापुर, कपारी, बेरूई, खानसेमरा, बेमरा, रैपटना, मतरवार, गोरखा, घोंद, चकराजी गढ़वा, गाढ़ा कटरा, बेनीपुर, लेदर, बिहरिया, अभयपुर, लखनपुर, कैथी, शिवराजपुर, ओसा, अतरी कपसो, चरीहारी, गोबरा सोनौरी, पगवार, मझियारी बहेलिया, गोबरा हेबार, बरहईया, भोड़ी, घोघर, बकुलिया, मवइया रक्सोल, मवइया पहलवान, लोहगरा, गदामार, चन्दरा, ललई, भैसहाई, लौंद खुर्द, बघला, पण्डुआ, परवेजाबाद, बसहरा तरहार, लालापुर, मदुरी, प्रतापपुर, सुरवल में सरकार के संरक्षण में गैरकानूनी तरीके से स्थायी लीज लेकर रानी राजेन्द्र कुमारी बा द्वारा सिलीका सैण्ड़ का खनन कराया जा रहा है। मजदूरों के फेफड़ों में सिलकौसिस जैसे असाध्य रोगों को पैदा करने वाले इस खनन में किसी भी नियम कानून का पालन नहीं किया जाता रहा है। हमारे द्वारा करायी गयी जांच में खान सुरक्षा निदेशक ने खुद निरीक्षण करने के बाद दो वर्ष पूर्व ही जारी अपने पत्र में इस खनन को तत्काल प्रभाव से बंद करने का आदेश दिया था। खान सुरक्षा निदेशक ने निरीक्षण में पाया था कि इन माइन्स में माइन्स एक्ट 1952 व उसके अधीनस्थ बने रूल्स व रेगूलेशन का धोर उल्लंधन किया गया है। भारत सरकार के श्रम विभाग द्वारा करायी जांच में भी मजदूरों के ईपीएफ की लूट और उन्हें कोई भी सुरक्षा उपकरण न देने की बात प्रमाणित हुई थी। बाबजूद इसके न तो तात्कालीन बसपा सरकार द्वारा इस अवैध खनन पर रोक लगाया गया और न ही वर्तमान अखिलेश सरकार द्वारा इसें रोका गया। हद तो यह हो गयी कि जिस कमीशनर ने एडीएम की रिर्पोट के आधार पर आम जनता की जिदंगी और पर्यावरण के लिए गम्भाीर खतरा बने इस खनन की जांच करने का आदेश दिया उसे अखिलेश सरकार ने एक ही दिन में हटा दिया और प्रतीक्षारत कर दिया।
        उन्होनें बताया कि हम लम्बे समय से प्रदेश में जारी इस अवैध खनन के खिलाफ आंदोलनरत है और प्रदेश में कानून के राज के लिए किए गए दस दिवसीय उपवास में भी हमने इसे प्रमुख सवाल बनाया था। हाईकोर्ट में हमने जनहित याचिका संख्या 30303 भी दायर की है जिसमें हमने प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर सरकार के संरक्षण में हो रहे अवैध खनन की सीबीआई से जांच कराने की अपील की है और हमें उम्मीद है कि अखिलेश सरकार का हाल भी कर्नाटक की येदुरप्पा सरकार की तरह ही होगा। उन्होनें कहा कि उ0 प्र0 सरकार को उत्तराखण्ड़ और हिमाचल में आयी त्रासदी से सबक लेना चाहिए यदि वहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान करते हुए भूमफिया, बिल्ड़रों, कारपोरेट, ठेकेदारों और राजनेताओं व नौकरशाहों के हितों की पूर्ति के लिए अवैध खनन और अवैध निर्माण न किया जाता तो वहां आयी इस भयंकर त्रासदी से बचा जा सकता था। उन्होनें सरकार से मांग की है कि उसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए और सोनभद्र से लेकर बुदेलखण्ड़ तक बिना पर्यावरण अनुमति के जारी अवैध खनन पर तत्काल प्रभाव से रोक लगानी चाहिए। 

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