दंगे की हो न्यायिक जांच
लखनऊ 08 सितम्बर 2013, मुजफ्फरनगर में कल हुआ दंगा सपा सरकार की सोची समझी रणनीति का परिणाम है यह आरोप आज जारी अपनी प्रेस विज्ञप्ति में आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व आई. जी. एस. आर. दारापुरी ने लगाया।
उन्होंने इस धटना पर, जिसमें दो पत्रकारों की भी मृत्यु हुई है, गहरा दुःख प्रकट करते हुए मांग की है कि इस दंगें की न्यायिक जांच करायी जानी चाहिए और जो अधिकारी इसके लिए दोषी है उन्हें दण्डि़त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जानते हुए भी कि मुजफ्फरनगर में पहले से ही साम्प्रदायिक तनाव चल रहा था और इसके पूर्व भी लोगों की हत्याएं तक हो चुकी थी, वहां कड़ाई से माहौल को सामान्य बनाने की जगह सपा सरकार के प्रशासन ने महापंचायत करने की अनुमति प्रदान की और सोची समझी रणनीति के तहत इस दंगें को कराया। उन्होंने कहा कि अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए सपा सुप्रीमों और उनके निर्देशन में चल रही अखिलेश सरकार लगातार प्रदेश में विभाजन की राजनीति करने और साम्प्रदायिक आधार पर धुव्रीकरण कराने की कोशिशों में लगी हुई है। इसके पहले भी प्रदेश में दो दर्जन से ज्यादा दंगें हो चुके है और मुजफ्फरनगर का दंगा भी इसी रणनीति का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि आइपीएफ द्वारा आगामी 17 सितम्बर से सपा सरकार की विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए विधानसभा के सम्मुख आयोजित 50 धण्टें के उपवास में मुजफ्फरनगर में हुए दंगें की न्यायिक जांच और इस दंगें के लिए जबाबदेह अधिकारियों को दण्डि़त करने के सवाल को उठाया जायेगा।
एस0 आर0 दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्त
आइपीएफ।
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