वनाधिकार के लिए अखिलेन्द्र करेंगें संसद पर उपवास
सोनभद्र, चंदौली, मिर्जापुर के लिए विकास पैकेज की उठेगी मांग
आइपीएफ की जिला कमेटी की हुई बैठक
सोनभद्र, 29 जनवरी 2014, सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर के विकास के लिए विशेष पैकेज, वनाधिकार कानून के तहत जंगल की जमीनों पर बसे लोगों के मालिकाना अधिकार, ठेका मजदूरों के नियमितिकरण, हर मजदूर को दस हजार रूपए न्यूनतम मजदूरी, कोल को आदिवासी के दर्जे, अवैध खनन की सीबीआई जांच के लिए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक का0 अखिलेन्द्र प्रताप सिंह आगामी 7 फरवरी से संसद के सम्मुख दस दिवसीय उपवास करेंगे। इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए आज आइपीएफ की जिला संयोजन समिति की बैठक हुई।
बैठक में लिए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि उ0 प्र0 सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा राजस्व देने और प्राकृतिक संसाधनों, कल कारखानों से समृद्ध होने के बाबजूद यह क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है। यहां की खेती तबाह है किसानों के खेतों को पानी नहीं मिल रहा है और धान से लेकर गेहूं तक की सरकारी खरीद नहीं हो रही और जो थोड़ा बहुत खरीदा गया उसके पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया। मधुपुर से लेकर राजगढ तक पैदा होने वाला किसानों का टमाटर बिना संरक्षण के खेतों में ही सड़ जाता है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि वनाधिकार कानून के तहत गांवों से स्वीकृत दावों को स्वीकार कर जंगल की जमीन पर मालिकाना अधिकार दिया जाए, जिसे भी लागू नहीं किया गया। आदिवासी होने के बाबजूद कोल को आदिवासी का दर्जा नहीं मिला। जिस इलाके की पैदा की हुई बिजली से दिल्ली और लखनऊ जगमगाता है उसके गांवों में बिजली नहीं है। अनपरा और ओबरा की बिजली पैदा करने वाली परियोजनाएं भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा के कारण अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही है। हाई कोर्ट के आदेश के बाबजूद यहां दसियों वर्षो से कार्यरत ठेका मजदूरों को नियमित नहीं किया गया। लाखों की संख्या में काम करने वाले ठेका मजदूरों के ईपीएफ, मजदूरी और बोनस तक को लूट लिया गया है और कमरतोड़ महंगाई में भी 10000 रू0 न्यूनतम मजदूरी देने की मांग पूरा करने को सरकार तैयार नहीं है। गांव में मनरेगा में काम नहीं मिल रहा परिणामतः मजदूरों को पलायन करना पड़ रहा है। हालत इतनी बुरी है कि आज भी लोग बरसाती कुओं, कच्चे कुओं से पानी पीने और चकवड़ का साग और गेठी कंदा जैसी जहरीली जड़ खाने के लिए मजबूर है। अवैध खनन कर इस क्षेत्र की नदी, पहाड़, जंगल, जमीन को माफियाओं द्वारा लूट लिया गया और पर्यावरण के लिए गहरा खतरा पैदा कर दिया गया है। इसलिए इस क्षेत्र के आम नागरिकों की जिदंगी के लिए जरूरी सवालों को केन्द्र सरकार के सामने उठाने और इसे देश का राजनीतिक सवाल बनाने के लिए अखिलेन्द्र द्वारा किए जा रहे उपवास में बड़ी संख्या में हिस्सेदारी का निर्णय बैठक में लिया गया।
बैठक को प्रदेश संगठन प्रभारी दिनकर कपूर, राजेश सचान, प्रमोद चैबे, सुरेन्द्र पाल, रमेश खरवार, शाबिर हुसैन, रामदेव गोड़, श्रीकांत सिंह, अनंत बैगा, श्यामाचरण कोल, रामदुलारे खरवार, मणिशंकर पाठक, नागेन्द्र पनिका, विनोद बैगा, महेन्द्र प्रताप सिंह, राजेन्द्र गोंड़, इंद्रदेव खरवार, देवकुमार विश्वकर्मा, मनोज भारती, महेन्द्र कुशवाहा एडवोकेट आदि ने सम्बोधित किया और संचालन आइपीएफ जिला संयोजक शम्भूनाथ गौतम ने किया।
शम्भूनाथ गौतम
जिला संयोजक
आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ)
सोनभद्र, चंदौली, मिर्जापुर के लिए विकास पैकेज की उठेगी मांग
आइपीएफ की जिला कमेटी की हुई बैठक
सोनभद्र, 29 जनवरी 2014, सोनभद्र, चंदौली और मिर्जापुर के विकास के लिए विशेष पैकेज, वनाधिकार कानून के तहत जंगल की जमीनों पर बसे लोगों के मालिकाना अधिकार, ठेका मजदूरों के नियमितिकरण, हर मजदूर को दस हजार रूपए न्यूनतम मजदूरी, कोल को आदिवासी के दर्जे, अवैध खनन की सीबीआई जांच के लिए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक का0 अखिलेन्द्र प्रताप सिंह आगामी 7 फरवरी से संसद के सम्मुख दस दिवसीय उपवास करेंगे। इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए आज आइपीएफ की जिला संयोजन समिति की बैठक हुई।
बैठक में लिए राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि उ0 प्र0 सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा राजस्व देने और प्राकृतिक संसाधनों, कल कारखानों से समृद्ध होने के बाबजूद यह क्षेत्र बेहद पिछड़ा हुआ है। यहां की खेती तबाह है किसानों के खेतों को पानी नहीं मिल रहा है और धान से लेकर गेहूं तक की सरकारी खरीद नहीं हो रही और जो थोड़ा बहुत खरीदा गया उसके पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया। मधुपुर से लेकर राजगढ तक पैदा होने वाला किसानों का टमाटर बिना संरक्षण के खेतों में ही सड़ जाता है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि वनाधिकार कानून के तहत गांवों से स्वीकृत दावों को स्वीकार कर जंगल की जमीन पर मालिकाना अधिकार दिया जाए, जिसे भी लागू नहीं किया गया। आदिवासी होने के बाबजूद कोल को आदिवासी का दर्जा नहीं मिला। जिस इलाके की पैदा की हुई बिजली से दिल्ली और लखनऊ जगमगाता है उसके गांवों में बिजली नहीं है। अनपरा और ओबरा की बिजली पैदा करने वाली परियोजनाएं भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा के कारण अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही है। हाई कोर्ट के आदेश के बाबजूद यहां दसियों वर्षो से कार्यरत ठेका मजदूरों को नियमित नहीं किया गया। लाखों की संख्या में काम करने वाले ठेका मजदूरों के ईपीएफ, मजदूरी और बोनस तक को लूट लिया गया है और कमरतोड़ महंगाई में भी 10000 रू0 न्यूनतम मजदूरी देने की मांग पूरा करने को सरकार तैयार नहीं है। गांव में मनरेगा में काम नहीं मिल रहा परिणामतः मजदूरों को पलायन करना पड़ रहा है। हालत इतनी बुरी है कि आज भी लोग बरसाती कुओं, कच्चे कुओं से पानी पीने और चकवड़ का साग और गेठी कंदा जैसी जहरीली जड़ खाने के लिए मजबूर है। अवैध खनन कर इस क्षेत्र की नदी, पहाड़, जंगल, जमीन को माफियाओं द्वारा लूट लिया गया और पर्यावरण के लिए गहरा खतरा पैदा कर दिया गया है। इसलिए इस क्षेत्र के आम नागरिकों की जिदंगी के लिए जरूरी सवालों को केन्द्र सरकार के सामने उठाने और इसे देश का राजनीतिक सवाल बनाने के लिए अखिलेन्द्र द्वारा किए जा रहे उपवास में बड़ी संख्या में हिस्सेदारी का निर्णय बैठक में लिया गया।
बैठक को प्रदेश संगठन प्रभारी दिनकर कपूर, राजेश सचान, प्रमोद चैबे, सुरेन्द्र पाल, रमेश खरवार, शाबिर हुसैन, रामदेव गोड़, श्रीकांत सिंह, अनंत बैगा, श्यामाचरण कोल, रामदुलारे खरवार, मणिशंकर पाठक, नागेन्द्र पनिका, विनोद बैगा, महेन्द्र प्रताप सिंह, राजेन्द्र गोंड़, इंद्रदेव खरवार, देवकुमार विश्वकर्मा, मनोज भारती, महेन्द्र कुशवाहा एडवोकेट आदि ने सम्बोधित किया और संचालन आइपीएफ जिला संयोजक शम्भूनाथ गौतम ने किया।
शम्भूनाथ गौतम
जिला संयोजक
आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ)
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