Monday 27 January 2014

चंदौली-सोनभद्र-मिर्जापुर को पिछड़ा क्षेत्र धोषित कर विशेष पैकेज के लिए!
इंसाफ और सामाजिक न्याय के लिए!
जंगल की जमीनों पर बसे लोगों के मालिकाना अधिकार के लिए!
ठेका मजदूरों के नियमितिकरण के लिए!
कोल को आदिवासी के दर्जे के लिए!
दिल्ली चलो!

का0 अखिलेन्द्र प्रताप सिंह, राष्ट्रीय संयोजक, आइपीएफ द्वारा
जंतर मंतर पर 07 फरवरी 2014 से उपवास


साथियो,
चंदौली, सोनभद्र और मिर्जापुर का हमारा यह क्षेत्र उ0 प्र0 सरकार के खजाने में सबसे ज्यादा राजस्व देने और प्राकृतिक संसाधनों, कल कारखानों से समृद्ध होने के बाबजूद बेहद पिछड़ा हुआ है। यहां की खेती तबाह है किसानों के खेतों को पानी नहीं मिल रहा है और धान से लेकर गेहूं तक की सरकारी खरीद नहीं हो रही और जो थोड़ा बहुत खरीदा गया उसके पैसे का भी भुगतान नहीं किया गया। मधुपुर से लेकर राजगढ तक पैदा होने वाला किसानों का टमाटर बिना संरक्षण के खेतों में ही सड़ जाता है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि वनाधिकार कानून के तहत गांवों से स्वीकृत दावों को स्वीकार कर जमीन पर मालिकाना अधिकार दिया जाए, जिसे भी लागू नहीं किया गया। जिस इलाके की पैदा की हुई बिजली से दिल्ली और लखनऊ जगमगाता है उसके गांवों में बिजली नहीं है। अनपरा और ओबरा की बिजली पैदा करने वाली परियोजनाएं भ्रष्टाचार और ठेकेदारी प्रथा के कारण अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं कर पा रही है। हाई कोर्ट के आदेश के बाबजूद यहां दसियों वर्षो से कार्यरत ठेका मजदूरों को नियमित नहीं किया गया। लाखों की संख्या में काम करने वाले ठेका मजदूरों के ईपीएफ, मजदूरी और बोनस तक को लूट लिया गया है और कमरतोड़ महंगाई में भी 10000 रू0 न्यूनतम मजदूरी देने की मांग पूरा करने को सरकार तैयार नहीं है। गांव में मनरेगा में काम नहीं मिल रहा परिणामतः मजदूरों को पलायन करना पड़ रहा है। हालत इतनी बुरी है कि आज भी लोग बरसाती चुओं, कच्चे कुओं से पानी पीने और चकवड़ का साग और गेठी कंदा जैसी जहरीली जड़ खाने के लिए मजबूर है। अवैध खनन कर इस क्षेत्र की नदी, पहाड़, जंगल, जमीन को माफियाओं द्वारा लूट लिया गया और पर्यावरण के लिए गहरा खतरा पैदा कर दिया गया है। पूरे इलाके की सड़कों के निर्माण में करोड़ो की लूट हुई है वाराणसी शक्तिनगर मार्ग जैसी लाइफलाइन सडक तक की हालत बेहद खराब है। अहरौरा के लकड़ी के खिलौने जैसे छोटे मझौले उद्योग बर्बाद हो रहे है, बार-बार सरकार और प्रशासन को लिखित देने के बाबजूद इसके इस उद्योग को वन निगम द्वारा कोरैया की लकड़ी नहीं उपलब्ध करायी गयी। यहां के आदिवासियों, अतिपिछड़ों, पिछड़े मुसलमानों को सामाजिक न्याय तक हासिल नहीं हुआ आदिवासी होने के बाबजूद कोल को आदिवासी का दर्जा नहीं मिला। अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले सैकड़ों नौजवान आज भी जेलों में बंद है।
इस क्षेत्र के विकास के लिए विशेष पैकेज, जंगल की जमीनों पर बसे लोगों के मालिकाना अधिकार, कृषि के विकास, ठेका मजदूरों के नियमितिकरण, हर मजदूर को दस हजार रूपए न्यूनतम मजदूरी, कोल को आदिवासी के दर्जे और यहां के लोगों के इंसाफ व सामाजिक न्याय के अधिकार के सवालों पर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) के राष्ट्रीय संयोजक का0 अखिलेन्द्र प्रताप सिंह आगामी 7 फरवरी से जंतर-मंतर पर उपवास और धरने पर बैठने जा रहे है। हमारी आप सब से अपील है कि अपनी जिदंगी की इस लड़ाई में बड़े पैमाने पर हिस्सा ले और हर सम्भव सहयोग करें।

निवेदक
एस0 आर0 दारापुरी, पूर्व आई0जी0 व राष्ट्रीय प्रवक्ता आइपीएफ

दिनकर कपूर, संगठन प्रभारी, आइपीएफ, चैधरी यशवंत सिंह, अध्यक्ष, सामाजिक न्याय मोर्चा, रामकृष्ण पाठक, संरक्षक, सामाजिक न्याय मोर्चा, शम्भूनाथ कौशिक जिला संयोजक, सोनभद्र, अखिलेश दूबे, जिला संयोजक चंदौली, मनोज भारती, मिर्जापुर, राजेश सचान, अजय राय, जोखू सिद्दीकी, राम नारायण, सुरेन्द्र पाल, प्रमोद चैबे, रमेश खरवार, शिव प्रसाद खरवार पूर्व प्रधान, मटर कोल पूर्व प्रधान, डा0 गीता शुक्ला, डा0 चंद्र देव गोड़, श्याम सुदंर खरवार, महेन्द्र प्रताप सिंह, राममूरत पासवान, कमला प्रसाद, रहमुद्दीन, राजेन्द्र गोड, सत्यम विश्वकर्मा, बचनू विश्वकर्मा, सीताराम कोल, कन्हैया लाल गुप्ता, श्रीकांत सिंह, अनंत बैगा, विनोद बैगा, तौलन कोल, श्यामाचरण कोल, केशव यादव, शाबिर हुसैन, रामदुलारे प्रजापति, इंद्रदेव खरवार, मणिशंकर पाठक, सुनील कुमार, मोहन प्रसाद, राजेन्द्र गोड़, रामदेव गोड़, देव कुमार विश्वकर्मा, राम दुलारे खरवार, भरत राम व आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) द्वारा जारी।
कार्यालय पताः जालान भवन, राबर्ट्सगंज, सोनभद्र मो0 09450153307

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