वन भूमि पर मालिकाना अधिकार के लिए!
जमीन अधिकार आंदोलन के तहत चकिया में सीपीएम व आइपीएफ का विशाल धरना
तत्काल वनाधिकार कानून में खारिज दावों पर पुनर्विचार प्रक्रिया शुरू कराने, ग्रामस्तर से लेकर जिलास्तर तक पुनः वनाधिकार समिति का गठन करने, ग्रामस्तर की वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृत दावों को स्वीकार कराने, दावा दाखिल करने से छूट गए दावेदारों के दावे दाखिल करने और वन विभाग द्वारा लादे गए मुकदमों को तत्काल वापस लेने की मांगांे पर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) और सीपीआईएम की तरफ से 30 सितम्बर को चकिया तहसील मुख्यालय पर एक दिवसीय चेतावनी धरना देकर जमीन अधिकार आंदोलन की शुरूवात की गयी। धरने में नौगढ़, शिकारगंज और चकिया से सैकड़ों की संख्या में दलित- आदिवासी जुटे। धरने के पूर्व ब्लाक से गांधी पार्क तक विशाल जुलूस निकाला गया। धरने के बाद उपजिलाधिकारी को मांगपत्र सौंपा गया और प्रतिनिधिमण्ड़ल ने वार्ता भी की।
धरनास्थल पर हुई सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लम्बे संघर्षो और कुर्बानियों के बदौलत हासिल वनाधिकार कानून के तहत जनपद में दाखिल 14088 दावों में से 13998 दावों को मनमाने ढ़ग से सपा और बसपा सरकार और उसके प्रशासन ने खारिज कर दिया जबकि इनमें से अधिकांश ग्रामस्तर की समितियों द्वारा स्वीकृत थे। इन दावों पर पुनर्विचार के लिए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) की जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने आदेश दिया और साथ ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी इसी तरह का आदेश दिया। इस आदेश से एक बार पुनः यह अवसर मिला कि वनाधिकार कानून के तहत हासिल अपने अधिकार को प्राप्त करें और अपनी पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना हक हासिल कर सकें। इन आदेशों को लागू कराने के लिए बार-बार उ0 प्र0 शासन, जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी को पत्रक दिए परन्तु कोई भी इन्हें लागू करने के लिए तैयार नहीं है। यदि धरने के बाद भी प्रशासन नहीं चेता तो एक बड़ा आंदोलन चलाया जायेगा। धरने को सीपीएम के बच्चन सिंह, जिला सचिव श्रीप्रसाद, लालमुनि विश्वकर्मा, अजय राय, रामनारायन, रामेश्वर प्रसाद, नंदलाल यादव, मार्कण्डेय आदि ने सम्बोधित किया।
जमीन अधिकार आंदोलन के तहत चकिया में सीपीएम व आइपीएफ का विशाल धरना
तत्काल वनाधिकार कानून में खारिज दावों पर पुनर्विचार प्रक्रिया शुरू कराने, ग्रामस्तर से लेकर जिलास्तर तक पुनः वनाधिकार समिति का गठन करने, ग्रामस्तर की वनाधिकार समिति द्वारा स्वीकृत दावों को स्वीकार कराने, दावा दाखिल करने से छूट गए दावेदारों के दावे दाखिल करने और वन विभाग द्वारा लादे गए मुकदमों को तत्काल वापस लेने की मांगांे पर आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) और सीपीआईएम की तरफ से 30 सितम्बर को चकिया तहसील मुख्यालय पर एक दिवसीय चेतावनी धरना देकर जमीन अधिकार आंदोलन की शुरूवात की गयी। धरने में नौगढ़, शिकारगंज और चकिया से सैकड़ों की संख्या में दलित- आदिवासी जुटे। धरने के पूर्व ब्लाक से गांधी पार्क तक विशाल जुलूस निकाला गया। धरने के बाद उपजिलाधिकारी को मांगपत्र सौंपा गया और प्रतिनिधिमण्ड़ल ने वार्ता भी की।
धरनास्थल पर हुई सभा को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि लम्बे संघर्षो और कुर्बानियों के बदौलत हासिल वनाधिकार कानून के तहत जनपद में दाखिल 14088 दावों में से 13998 दावों को मनमाने ढ़ग से सपा और बसपा सरकार और उसके प्रशासन ने खारिज कर दिया जबकि इनमें से अधिकांश ग्रामस्तर की समितियों द्वारा स्वीकृत थे। इन दावों पर पुनर्विचार के लिए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) की जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने आदेश दिया और साथ ही माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी इसी तरह का आदेश दिया। इस आदेश से एक बार पुनः यह अवसर मिला कि वनाधिकार कानून के तहत हासिल अपने अधिकार को प्राप्त करें और अपनी पुश्तैनी जमीन पर मालिकाना हक हासिल कर सकें। इन आदेशों को लागू कराने के लिए बार-बार उ0 प्र0 शासन, जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी को पत्रक दिए परन्तु कोई भी इन्हें लागू करने के लिए तैयार नहीं है। यदि धरने के बाद भी प्रशासन नहीं चेता तो एक बड़ा आंदोलन चलाया जायेगा। धरने को सीपीएम के बच्चन सिंह, जिला सचिव श्रीप्रसाद, लालमुनि विश्वकर्मा, अजय राय, रामनारायन, रामेश्वर प्रसाद, नंदलाल यादव, मार्कण्डेय आदि ने सम्बोधित किया।
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