This blog has been devised to represent the activities of All India Peoples Front(R), a political party aiming at forging a political alternative comprising of progressive, secular and radical parties.
Thursday, 30 May 2013
: घोषणा आईपीएफ द्वारा उत्तर प्रदेश में निम्नलिखि...
घोषणा
आईपीएफ द्वारा उत्तर प्रदेश में निम्नलिखि...: घोषणा आईपीएफ द्वारा उत्तर प्रदेश में निम्नलिखित मुद्दों पर माह जून में f विधान सभा के सम्मुख एक लम्बा राजनीतिक कार्यक्रम लिया जाय...
Monday, 20 May 2013
खालिद मुजाहिद की मौत के लिए सपा सरकार जिम्मेवार
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट
कार्यालय :डायमंड डेरी, सदर बाज़ार, लखनऊ.
प्रेस विज्ञप्ति
लखनऊ. दिनांक 20 मई, 2013
खालिद मुजाहिद की मौत के लिए सपा सरकार जिम्मेवार
हमारा मानना है कि 18 मई, 2013 को उ. प्र. में कचेहरी बम कांड के आरोपी खालिद मुजाहिद को फैजाबाद से लखनऊ से लाते समय रास्ते में हुयी मौत के लिए सपा सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है.
यह सर्वविदित है कि खालिद और उस के साथी तारिक काज़मी आदि इस से पहले भी अदालत से अपनी जान के खतरे के बारे में प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा की मांग कर चुके थे. अंतत वही हुआ जिस का डर था. एक गहरी साजिश के अंतर्गत संदिग्ध परिस्थियों में खालिद कि मौत हो गयी .
हम सब लोग जानते हैं कि जब 2007 में खालिद और तारिक की गलत ढंग से गिरफ्तारी करके उन्हें बम ब्लास्ट के झूठे केसों में फंसाया गया था तो इस का सभी द्वारा कड़ा विरोध किया गया था जिस के फलस्वरूप इस मामले कि जांच हेतु एक सदस्य निमेश आयोग का गठन किया गया था. इस जांच आयोग ने 13 अगस्त, 2012 को अपनी रिपोर्ट वर्तमान सरकार को सौंप दी थी परन्तु तमाम मांग करने के बावजूद भी आज तक उक्त रिपोर्ट न तो विधान सभा के पटल पर रखी गयी और न ही उस पर कोई कार्रवाही की गयी. इस पर कुछ संगठनों द्वारा उक्त जांच रिपोर्ट अपने स्तर से जारी कर दी गयी.
निमेश जंक रिपोर्ट में खालिद मुजाहिद और तारिक काज़मी कि गिरफ्तारी को संदिग्ध बताया गया है और इस के दोषी पुलिस कर्मचारियों को दण्डित करने कि संस्तुति की गयी थी. इस पर सपा सरकार ने केवल दिखावे मात्र के लिए उक्त दोनों आरोपी व्यक्तियों के जनहित एवं शान्ति व्यवस्था के नाम पर उनके मुक़दमे वापस लेने कि रसम अदायगी की जिसे अदालत द्वारा अस्वीकार कर दिया गया. वास्तव में सरकार को निमेश आयोग कि सिफारिशों को स्वीकार करके मुक़दमे की पुनर विवेचना हेतु मुकदमा वापस लेने कि कार्रवाही करनी चाहिए थी परन्तु ऐसा जानभूझ नहीं किया गया.
अब चूँकि खालिद मुजाहिद कि संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गयी है और इस सम्बन्ध में खालिद और तारिक की गलत ढंग से गिरफ्तारी करने, उन्हें झूठे केस में फंसाने तथा खालिद की मौत हो जाने के सम्बन्ध में 42 पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा कायम हो गया है और इस की विवेचना सी. बी. आई. को सौंप दी गयी है, अतः फ्रंट मांग करता है कि इस मामले कि विवेचना तेज़ी सी शुरू कि जाये और इस मुकदमे के आरोपी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही की जाये और जो अधिकारी अभी सेवारत हैं उन्हें तुरंत निलंबित किया जाये. इस के साथ ही निमेश आयोग की रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक किया जाये और उस की संस्तुतियों पर कार्रवाही की जाए.
हमारा यह निश्चित मत है कि अगर वर्तमान सपा सरकार ने 8 महीने पहले प्रेषित रिपोर्ट पर कार्रवाही की होती तो खालिद और तारिक कासमी आज तक छुट चुके होते और खालिद कि जान नहीं जाती. इस के लिए फ्रंट सपा सरकार को पूरी तरह से जिम्मेवार मानता है और इस घटना की निंदा करता है.
एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्ता
मोब 9415164845
कार्यालय :डायमंड डेरी, सदर बाज़ार, लखनऊ.
प्रेस विज्ञप्ति
लखनऊ. दिनांक 20 मई, 2013
खालिद मुजाहिद की मौत के लिए सपा सरकार जिम्मेवार
हमारा मानना है कि 18 मई, 2013 को उ. प्र. में कचेहरी बम कांड के आरोपी खालिद मुजाहिद को फैजाबाद से लखनऊ से लाते समय रास्ते में हुयी मौत के लिए सपा सरकार पूरी तरह से ज़िम्मेदार है.
यह सर्वविदित है कि खालिद और उस के साथी तारिक काज़मी आदि इस से पहले भी अदालत से अपनी जान के खतरे के बारे में प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा की मांग कर चुके थे. अंतत वही हुआ जिस का डर था. एक गहरी साजिश के अंतर्गत संदिग्ध परिस्थियों में खालिद कि मौत हो गयी .
हम सब लोग जानते हैं कि जब 2007 में खालिद और तारिक की गलत ढंग से गिरफ्तारी करके उन्हें बम ब्लास्ट के झूठे केसों में फंसाया गया था तो इस का सभी द्वारा कड़ा विरोध किया गया था जिस के फलस्वरूप इस मामले कि जांच हेतु एक सदस्य निमेश आयोग का गठन किया गया था. इस जांच आयोग ने 13 अगस्त, 2012 को अपनी रिपोर्ट वर्तमान सरकार को सौंप दी थी परन्तु तमाम मांग करने के बावजूद भी आज तक उक्त रिपोर्ट न तो विधान सभा के पटल पर रखी गयी और न ही उस पर कोई कार्रवाही की गयी. इस पर कुछ संगठनों द्वारा उक्त जांच रिपोर्ट अपने स्तर से जारी कर दी गयी.
निमेश जंक रिपोर्ट में खालिद मुजाहिद और तारिक काज़मी कि गिरफ्तारी को संदिग्ध बताया गया है और इस के दोषी पुलिस कर्मचारियों को दण्डित करने कि संस्तुति की गयी थी. इस पर सपा सरकार ने केवल दिखावे मात्र के लिए उक्त दोनों आरोपी व्यक्तियों के जनहित एवं शान्ति व्यवस्था के नाम पर उनके मुक़दमे वापस लेने कि रसम अदायगी की जिसे अदालत द्वारा अस्वीकार कर दिया गया. वास्तव में सरकार को निमेश आयोग कि सिफारिशों को स्वीकार करके मुक़दमे की पुनर विवेचना हेतु मुकदमा वापस लेने कि कार्रवाही करनी चाहिए थी परन्तु ऐसा जानभूझ नहीं किया गया.
अब चूँकि खालिद मुजाहिद कि संदिग्ध परिस्थियों में मौत हो गयी है और इस सम्बन्ध में खालिद और तारिक की गलत ढंग से गिरफ्तारी करने, उन्हें झूठे केस में फंसाने तथा खालिद की मौत हो जाने के सम्बन्ध में 42 पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा कायम हो गया है और इस की विवेचना सी. बी. आई. को सौंप दी गयी है, अतः फ्रंट मांग करता है कि इस मामले कि विवेचना तेज़ी सी शुरू कि जाये और इस मुकदमे के आरोपी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाही की जाये और जो अधिकारी अभी सेवारत हैं उन्हें तुरंत निलंबित किया जाये. इस के साथ ही निमेश आयोग की रिपोर्ट को तुरंत सार्वजनिक किया जाये और उस की संस्तुतियों पर कार्रवाही की जाए.
हमारा यह निश्चित मत है कि अगर वर्तमान सपा सरकार ने 8 महीने पहले प्रेषित रिपोर्ट पर कार्रवाही की होती तो खालिद और तारिक कासमी आज तक छुट चुके होते और खालिद कि जान नहीं जाती. इस के लिए फ्रंट सपा सरकार को पूरी तरह से जिम्मेवार मानता है और इस घटना की निंदा करता है.
एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्ता
मोब 9415164845
Subscribe to:
Posts (Atom)